वासुपूज्य जिनसिद्ध भये चम्पापूर से जेह । मन वच तन कर पूजहूूँ, शिखर सम्मेद यजेह ।।
ओं ह्रीं श्री वासुपूज्य जिनेंद्रादी चम्पापूर के मंदागिरी से एक हजार मुनी सिद्ध भये तिनके चरणारबिंद को मेरा मन वचन काय से बारंबार नमस्कार हो ।